सुप्रीम कोर्ट के सितंबर, 2006 निर्देशानुसार डी.एस.पी. रैंक तक के पुलिस कर्मियों की तैनाती, तबादले, पदोन्नति आदि सेवा मामलों में स्थापना बोर्ड ले सकती है निर्णय
हरियाणा पुलिस कानून, 2007 में प्रावधान होने बावजूद आज तक स्थापना कमेटी गठित नहीं - एडवोकेट हेमंत
चंडीगढ़ -- हरियाणा के पूर्व
गृह मंत्री अनिल विज द्वारा
एक आरटीआई याचिका दायर कर उनके गृहक्षेत्र अंबाला जिले में हाल ही में ए.एस.आई. ( सहायक उपनिरीक्षक) से एस.आई. ( उपनिरीक्षक) पद पर पदोन्नत दो पुलिस कर्मियों को अंबाला से
नूंह जिले में तबादला करने बारे सूचना ( फाईल नोटिंग की प्रति) मांगी गई है अर्थात किस पुलिस अधिकारी द्वारा ऐसा प्रस्ताव किया गया और किस उच्च अधिकारी द्वारा उसका अनुमोदन किया गया.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और प्रशासनिक मामलों के जानकर हेमंत कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 18 वर्ष पूर्व सितम्बर, 2006 में बहुचर्चित प्रकाश सिंह केस में देश में पुलिस सुधारों पर दिए गये ऐतिहासिक निर्णय में देश की सभी प्रदेश सरकारों को दिए गए कुल छः निर्देशों में से पांचवा निर्देश यह था कि हर राज्य में प्रदेश डीजीपी की अध्यक्षता में और चार अन्य सदस्यीय एवं विभागीय स्टेट पुलिस इस्टैब्लिशमेंट (स्थापना ) बोर्ड होगा. सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि ऐसा बोर्ड (कमेटी ) ही डी.एस.पी. रैंक तक के पुलिस अधिकारियों की तैनाती-तबादले, प्रमोशन और अन्य सेवा सम्बन्धी मामलों पर निर्णय लेगा और राज्य सरकार द्वारा इसमें सामान्यत: हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा.
हेमंत ने बताया कि प्रदेश में तत्कालीन सत्तासीन भूपेंद्र हुड्डा सरकार द्वारा राज्य विधानसभा मार्फ़त
अधिनियमित हरियाणा पुलिस कानून, 2007 की धारा 34 में पुलिस स्थापना कमेटी का प्रावधान तो किया गया था परन्तु उस कमेटी को किसी भी रैंक के पुलिस कर्मी/अधिकारी की तैनाती-तबादले, प्रमोशन आदि शक्ति नहीं प्रदान की गई.
हेमंत ने बताया कि हालांकि आज से साढ़े 5 वर्ष पूर्व दिसंबर, 2018 में प्रदेश की तत्कालीन मनोहर लाल सरकार द्वारा विधानसभा मार्फत हरियाणा पुलिस (संशोधन) कानून, 2018 पारित करवा हरियाणा पुलिस कानून, 2007 की तत्कालीन मूल धारा 34 को पूर्णतया बदल दिया गया जो संशोधन कानून प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य से मंजूरी मिलने बाद 10 जनवरी 2019 से लागू हो गया था परन्तु आज साढ़े 5 वर्ष बाद भी नई धारा 34 की अनुपालना में हरियाणा में पुलिस स्थापना कमेटी का गठन नहीं किया गया है. यह सूचना प्रदेश के गृह विभाग एवं राज्य डीजीपी कार्यालय द्वारा एक आर.टी.आई. के जवाब में प्रदान की गई.
हेमंत ने आगे बताया कि उक्त 2018 संशोधन कानून द्वारा डाली गई नई धारा 34 में प्रावधान है कि पुलिस स्थापना कमेटी के चेयरमैन राज्य के डी.जी.पी.(पुलिस महानिदेशक ) एवं अन्य सदस्यों में राज्य इंटेलिजेंस विंग (सी.आई.डी.) प्रमुख, पुलिस मुख्यालय के प्रशासनिक विंग के प्रमुख एवं लॉ एंड आर्डर (कानून-व्यवस्था ) के मुखिया होंगे. यह कमेटी पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर (निरीक्षक ) रैंक के कर्मियों की तबादले एवं तैनाती सम्बन्धी निर्णय लेगी जबकि डी.एस.पी. एवं एस.पी की तैनाती/तबादलों के सम्बन्ध में यह कमेटी राज्य सरकार को अपनी सिफारिश करेगी.
अब हरियाणा के पुलिस कानून की मौजूदा धारा 34 में पुलिस स्थापना कमेटी की शक्तियों में डीएसपी रैंक तक की बजाये, जैसा सुप्रीम कोर्ट में निर्देश में है, की बजाए इंस्पेक्टर रैंक का ही उल्लेख क्यों किया गया है और आज तक राज्य सरकार द्वारा उक्त पुलिस स्थापना कमेटी क्यों नहीं बनाई गई है और इसके पीछे वास्तविक कारण क्या रहे, यह निश्चित तौर पर जांच करने योग्य है. बहरहाल, पूर्व गृहमंत्री मंत्री विज द्वारा दो नव पदोन्नत दो पुलिस उपनिरीक्षकों की अंबाला से नूंह जिले में तबादले बारे दायर आरटीआई के बाद क्या
प्रदेश सरकार पुलिस स्थापना कमेटी का गठन करती है या नहीं, यह देखने लायक होगा.
हेमंत ने यह भी बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा आज तक सुप्रीम कोर्ट से उक्त पुलिस स्थापना बोर्ड/कमेटी के गठन से छूट सम्बन्धी भी कोई आदेश नहीं लिया गया है जिस कारण हरियाणा में ऐसे बोर्ड/ कमेटी का गठन एवं सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित अर्थात डीएसपी रैंक तक के पुलिस अधिकारियों की तैनाती-तबादले आदि सम्बन्धी मामलों के निर्णय लेने की शक्ति का प्रयोग ऐसे बोर्ड/कमेटी द्वारा किया जाना अनिवार्य है अन्यथा इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना जाएगा. गनीमत है आज तक इस बारे में किसी ने हरियाणा सरकार के विरुद्ध हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में कोई अवमानना याचिका नहीं दायर की है.
हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा 42 हरियाणा पुलिस सेवा (एचपीएस ) अर्थात डी.एस.पी. (उप पुलिस अधीक्षक) रैंक के पुलिस अधिकारियों के ताज़ा तैनाती-तबादला सम्बन्धी आदेश जारी किये गए हैं जो प्रदेश के गृह सचिव अनुराग रस्तोगी के हस्ताक्षर से जारी हुए हैं एवं उसमें भी पुलिस स्थापना कमेटी द्वारा इस सम्बन्ध में राज्य सरकार से की गई अनुशंसा (सिफारिश) का उल्लेख नहीं है.